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रंगमंचीय नाटक

       रंगमंचीय नाटक यह दृश्य नाट्य प्रकार है, जिनमें अभिनय के पक्ष पर अधिक जोर दिया जाता है। आज हिंदी में बहुत से ऐसे नाटक लिखे जा रहे है, जिनकी रचना केवल प्रदर्शन के लिए हो रही है इनको प्रायः रंगमंच नाटक कहा जाता है, जो साहित्यिक नाटयधारा से भिन्न होता है।
       रंगमंचीय नाटकों पर यह आक्षेप भी लिया गया कि इसमें रंगमंच भ्रष्ट और कृत्रिम होकर मात्र तात्कालिक मनोरंजन को उद्देश्य बनाकर लिखा जा रहा है। पारसी रंगमंच के नाटकों को इस संदर्भों में देखा जा सकता है।
       रंगमंचीय नाटक, नाटक के प्रदर्शन की महत्ता को सिद्ध करने का प्रयास करते है। जिसमें रंगमंच से संबंधित कलायें रंगमंच पर पूर्ण हावी होने का प्रयास करती है।
                
रंगमंचीय नाटक में निम्न पक्ष महत्वपूर्ण होते है -
  • अभिनयोचित रंगसज्जा आवश्यक
  • इन नाटकों का आधार - अभिनय
  • इसमें आंगिक, वाचिक, आहार्या, सात्विक प्रकार के अभिनय का स्थान । 
  • अनेक पात्रों का प्रत्यक्ष रंगमंच पर होना आवश्यक
  • मात्रा रंगमंच पर खेले जाने के कारण इस नाटक में दृश्य विधान की मर्यादा या सीमा को देखा जा सकता है। 

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